Wednesday, January 28, 2015

यूपी - महज 'घोषणा-वीर' बनकर रह गए मुख्यमंत्री अखिलेश . सूबे के किसी भी विभाग ने नहीं किया कोई नव-प्रयोग . सरकारी छलावा मात्र है मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हालिया गठित राज्य इनोवेशन काउन्सिल : संजय शर्मा



लखनऊ. यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में उत्तर प्रदेश  शासन के नव-प्रयोगों को लेकर दावे तो बहुत किये हैं पर हक़ीक़त में अखिलेश  अपने कार्यकाल में एक  भी  नव-प्रयोग को  अमली जामा नहीं पहना सके हैं . यह चौंकाने बाला खुलासा लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई पर उत्तर प्रदेश  शासन के प्रशासनिक सुधार विभाग के उपसचिव भवेश  रंजन के जबाब से हुआ है . संजय शर्मा की इस आरटीआई ने नव-प्रयोगों को लेकर किये गए सरकारी दावों की पोल खोल दी है . 
 
संजय बताते हैं कि  बीते साल जनवरी माह में उत्तर प्रदेश  शासन के प्रशासनिक सुधार विभाग ने उत्तर प्रदेश के सभी विभागों के प्रमुख  सचिवों  को एक शासनादेश जारी कर उत्तर प्रदेश राज्य में उनके विभाग  द्वारा किये  जा  रहे नव-प्रयोग/सर्वोत्तम प्रथा से  प्रशासनिक सुधार विभाग  को अवगत कराने के निर्देश दिए  थे तथा  प्रशासनिक सुधार विभाग  को इन नव-प्रयोग/सर्वोत्तम प्रथा को अग्रेतर कार्यवाही हेतु  भारत सरकार को अग्रेषित   करना  था. 


दरअसल संजय ने साल 2014 के 10 फरवरी  को  प्रशासनिक सुधार विभाग  के  कार्यालय  में एक आरटीआई दायर करके   उत्तर प्रदेश के सभी विभागों के प्रमुख  सचिवों  द्वारा  उत्तर प्रदेश राज्य में उनके विभाग  द्वारा किये  जा  रहे नव-प्रयोग/सर्वोत्तम प्रथा से  प्रशासनिक सुधार विभाग  को अवगत कराने जाने  तथा  प्रशासनिक सुधार विभाग  द्वारा इन नव-प्रयोग/सर्वोत्तम प्रथा को अग्रेतर कार्यवाही हेतु  भारत सरकार को अग्रेषित किये जाने की  जानकारी माँगी थी . 


हालाँकि आरटीआई एक्ट में 30 दिनों में ही सूचना देने की अनिवार्यता है पर आरटीआई एक्ट के नोडल विभाग ( प्रशासनिक सुधार विभाग )  की  उदासीनता के चलते संजय को यह  सूचना  प्रशासनिक सुधार विभाग  द्वारा  11 महीने बाद दी  गयी  है. संजय शर्मा की आरटीआई पर उत्तर प्रदेश  शासन के प्रशासनिक सुधार विभाग के उपसचिव भवेश  रंजन के जबाब से अखिलेश सरकार द्वारा नव-प्रयोगों को लेकर  अब तक किये गए सरकारी दावों की पोल स्वतः ही खुल रही है.


संजय को बीते 12 जनवरी 2015 को दिए गए जबाब में उत्तर प्रदेश  शासन के प्रशासनिक सुधार विभाग के उपसचिव भवेश  रंजन ने स्वीकारा है कि  नव-प्रयोग/सर्वोत्तम प्रथा के सम्बन्ध में अभी तक उत्तर प्रदेश  शासन के  किसी भी विभाग से कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है.

गौरतलब है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्क्लूसिव विकास प्रक्रिया को तेज गति प्रदान करते हुए नये-नये उपाय ढूंढने को सम्मिलित करने के उद्देश्य से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य इनोवेशन काउन्सिल का गठन भी किया है.  इसमें नियोजन, प्राविधिक शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा, उद्योग, कृषि विभागों के प्रमुख सचिवों सहित 21 सदस्यों को नामित किया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार यह काउन्सिल राज्य में इनोवेशन को प्रोत्साहित करेगी, प्रदेश के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं माइक्रो, स्माल एवं मीडियम उद्योगों, आर0 एण्ड डी0 संस्थानों इत्यादि में इनोवेशन को बढ़ावा देगी, प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन के हुए कार्यों को सूचीबद्ध करेगी,इनोवेशन करने वालों को पुरस्कृत तथा उनके कार्यों का प्रचार-प्रसार करेगी, इनोवेशन के सम्बन्ध में जन जागरण एवं जनमत तैयार करने हेतु सेमिनार, लेक्चर, एवं कार्यशाला इत्यादि का आयोजन करेगी।यह काउन्सिल इनोवेशन के प्रोत्साहन हेतु वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था, अनुकूल वातावरण का सृजन तथा दीर्घकालीन योजनाओं की तैयारी भी  करेगी।

लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ  जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था  'तहरीर' के  संस्थापक और अध्यक्ष संजय  ने  इतनी घोषणाओं   के बाबजूद सूबे के किसी भी विभाग द्वारा कोई भी   कोई नव-प्रयोग नहीं किये जाने जाने के   इस चौंकाने  बाले  खुलासे से व्यथित होकर अखिलेश यादव को 'घोषणा-वीर' मुख्यमंत्री की  संघ्या  देते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाल में गठित राज्य इनोवेशन काउन्सिल को भी सरकारी छलावा मात्र बताया है.



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