Saturday, June 27, 2015

सपा सरकार की तीन साल की उपलब्धियों का बखान करने बाले 30 लाख पत्रक छपवा अखिलेश ने फूंके जनता के 45 लाख रुपये !



एक अंग्रेजी कहावत है 'एक्शन्स स्पीक लाउडर देन वर्ड्स' अर्थात किसी के द्वारा किये गए कृत्य उसके द्वारा बोले गए शब्दों से अधिक गुंजित होते हैं पर लगता है कि सूबे की सपा  सरकार इस कहावत से इतर काम करती है और योजनाओं का क्रियान्वयन करने  में नहीं अपितु घोषणाओं का ढोल पीटने में अधिक विश्वास करती है।  जी हाँ , मैं अखिलेश सरकार पर ऐसी तोहमत  अपनी एक आरटीआई पर अखिलेश सरकार द्वारा दिए गए जबाब के आधार पर ही लगा रहा हूँ। 

बताते चलें कि इस साल के जनवरी माह में सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने समाजवादी सरकार के तीन साल की उपलब्धियों बाले पत्रकों का वितरण कराया था।  यह पत्रक उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रकाशित कराये गए थे।  लीगल आकार के रंगीन और ग्लेज़्ड पेपर पर आगे और पीछे दोनों और छपे इन पत्रकों में सपा सरकार की तीन साल की 25  ऐसे कोशिशों,इरादों और कामयाबियों को बताने का दावा करते हुए सपा सरकार को महिमामंडित किया गया था।  


बीते मई माह में मैंने एक आरटीआई दायर कर छपवाए गए पत्रकों की संख्या और इन पत्रकों की छपाई पर आये खर्चे के बारे में सूचना माँगी थे।  उत्तर प्रदेश  सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के जनसूचना अधिकारी और  उपनिदेशक डा०  विश्वनाथ त्रिपाठी ने बीते 23 जून को सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के  उपनिदेशक सै०  अमजद हुसैन का एक पत्र मुझे भेजा है जो बेहद चौंकाने बाला होने के साथ साथ चुनी गयी सरकारों की कार्यप्रणाली पर एक प्रश्नचिन्ह भी है   सै०  अमजद हुसैन के इस पत्र  के अनुसार अखिलेश यादव ने सपा सरकार की तीन साल की उपलब्धियों का बखान करने बाले 30 लाख पत्रक छपवा कर  जनता की गाढ़ी कमाई के  45 लाख रुपये खर्च कर दिए। 


साल 2011 में हुई गिनती के आधार पर यूपी की आवादी 199,812,341 थी और साल 2012 में हुए आम चुनावों में सूबे में 127,492,836 वोटर्स थे।  उत्तर प्रदेश में  67.68% साक्षरता दर के आधार पर हम कह सकते हैं कि सूबे में साक्षर मतदाताओं की संख्या 86,287,151 है।  इन साक्षर मतदाताओं के लिए 30 लाख पत्रक छपवाने का मतलब है क़ि अखिलेश ने सूबे के हर 29 वें  साक्षर वोटर के लिए यह परचा छपवाया।  साल 2012 में हुए आम चुनावों में समाजवादी पार्टी ने कुल पड़े 75,831,682 वोट्स में से  29.15% अर्थात 22,104,935 वोट्स प्राप्त किये थे।  इन सपा मतदाताओं के लिए 30 लाख पत्रक छपवाने का मतलब है क़ि अखिलेश ने  हर 8वें  सपा  वोटर के लिए यह परचा छपवाया।  240928 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल बाले इस सूबे में  अखिलेश ने प्रति  वर्ग किलोमीटर 12.5 पर्चे वँटवाए।

तो क्या अखिलेश की पार्टी अभी से साल 2017 में होने बाले आम चुनावों की तैयारियों में गुपचुप रूप से जुट गयी है और इस प्रकार सरकारी धन से सूबे की जनता के बीच अपनी पैठ बनाना चाह रही है ? मैं तो इसे सपा के चुनाव प्रचार के  रूप में देखता हूँ और यूपी सरकार द्वारा योजनाओं को अक्षरशः क्रियान्वित कर उनका लाभ समाज की पंक्ति  के अन्तिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पंहुचाने के स्थान पर महज बनायी गयी योजनाओं का   प्रचार जनता के पैसे से करने के सपा सरकार के इस कृत्य की भर्त्सना करता हूँ।    





हमारा सामाजिक संगठन 'तहरीर' इस सम्बन्ध में सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को एक पत्र लिखकर  अंग्रेजी कहावत 'एक्शन्स स्पीक लाउडर देन वर्ड्स' अर्थात किसी के द्वारा किये गए कृत्य उसके द्वारा बोले गए शब्दों से अधिक गुंजित होते हैं, याद दिलाने जा रहा है।  सपा सरकार को आइना दिखाते हुए हम अखिलेश को यह भी बताएंगे कि वर्तमान में सूबे की सपा  सरकार इस कहावत से इतर काम कर रही  है औरयह सरकार  योजनाओं का क्रियान्वयन करने  में नहीं अपितु घोषणाओं का ढोल पीटने में अधिक विश्वास कर रही  है जो एक चुनी हुई सरकार से अपेक्षित कृत्यों के सर्वथा प्रतिकूल है ।


हमारा मानना है कि एक लोकतंत्र  में सरकार  को संसाधनों का वेहतर प्रवंधन करने और समाज के सर्वांगीण विकास के लिए चुना  जाता है न कि सरकारी धन को प्रचार में उड़ाने के लिए।  हम अखिलेश को यह भी बताना चाहते है कि यदि उनकी सरकार  समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पंहुचेंगे तो उनका और उनकी पार्टी की सरकार का प्रचार  स्वतः ही हो जायेगा और इसके लिए उनको इस प्रकार 30 -30 लाख पत्रक छपवाकर जनता के 45 -45 लाख रुपये खर्च करने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। 

पर क्या यूपी के विपक्षी दल आने वाले चुनाव-2017 की पदचाप सुन रहे हैं ?


Sanjay Sharma سنجے شرما संजय शर्मा
( Founder & Chairman)
Transparency, Accountability & Human Rights Initiative for Revolution
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 TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights initiative for revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social Organization, working at grass-root level by taking up & solving issues related to strengthening transparency & accountability in public life and protection of Human Rights in India.   तहरीर (पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवाधिकार क्रांति के लिए पहल  )  भारत में लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ  जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था  है  l 

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